“औरत बोली तो झूठ बोली और जो नहीं बोली तो अपने फायदे के लिए नहीं बोली”

अब तक औरतें इसलिए नहीं बोली थीं क्‍योंकि अब तक वो अकेली थीं. उनके साथ छेड़खानी होती तो समाज उनके कपड़ों का ब्‍यौरा पूछता. क्‍या पहना था तुमने, कैसे देखा, कैसे चली, क्‍यों चली, तुम गई ही क्‍यों, तुम वहां थी ही क्‍यों. तुम्‍हारे साथ ही ऐसा क्‍यों हुआ.

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“औरत बोली तो झूठ बोली और जो नहीं बोली तो अपने फायदे के लिए नहीं बोली” “औरत बोली तो झूठ बोली और जो नहीं बोली तो अपने फायदे के लिए नहीं बोली” Reviewed by Unknown on January 11, 2019 Rating: 5

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